नाग पंचमी
सावन में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है । इस दिन नाग की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है, अकारण होने वाले भय से मुक्ति मिलती है और संतान दीर्घायु होती है ।
नाग पंचमी पर नागों या सर्पो को पूजने का महत्व यही है कि हम उनके कोप से बचे रहे । हमारा परिवार उनका शिकार न बने । हमारी संतान दीर्घायु हो । यो तो प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग पंचमी कहलाती है, मगर सावन मास में पड़ने वाली पंचमी का विशेष महत्व होता है । संतान चाहिए, जन्म कुंडली में कालसर्प दोष हो या पुत्र अस्वस्थ रहता हो, तो उसके लिए नाग पंचमी का व्रत रखना चाहिए । इससे इच्छित फल की प्राप्ति होती है । सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी से इस व्रत की शुरुआत करनी चाहिए । 12 महीने में नाग के 12 रूपों को पूजें । मसलन, प्रथम महीने में ‘अनंत’ सर्प के रूप में, दूसरे महीने में ‘वासुकी’ सर्प मानकर और तीसरे महीने में ‘शेषनाग’ मानकर पूजा करें । इसी तरह चौथे महीने में ‘पद्मनाभ’, पांचवे महीने में ‘पदम्’, छटे महीने में ‘कर्कोटक’, सातवें महीने में ‘तक्षक’ सर्प, आठवे महीने में ‘शंखनाद’, नवे महीने में ‘शंखपाल’, दसवे महीने में ‘कुलिक’ ग्यारहवे महीने में ‘पातक’, और बारहवे महीने में ‘विषाक्त’ सर्प मानकर पूजा करनी चाहिए । कृष्ण पक्ष की पंचमी को छोड़ दें ।
नाग पंचमी पूजा विधि:
चांदी से बने पंचमुखी नाग को गंगाजल से स्नान कराकर सिंहासन पर विराजमान करें । फिर रोली, अक्षत, दीप, धूपबत्ती आदि से इनकी विधिवत पूजन करें । ध्यान रखें, नाग पूजा में अगरबत्ती का इस्तेमाल नहीं करते । ततपश्चात ‘नाग नाम स्त्रोत’ का 9 बार पाठ करें । फिर
नाग गायत्री मंत्र:
(ॐ नव कुलाम् विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात् । )
का 108 बार जप करें । पंचमुखी नाग के साथ ‘नाग पाश यंत्र’ भी प्रतिष्ठित करें । उपर्युक्त विधि से 12 महीने नाग देवता की पूजा करें । पूजन उपरांत प्रार्थना करें की हे नाग देवता! हम प्रत्येक महीने नाग पंचमी के दिन व्रत रखेंगे । हमें एक भाग्यशाली पुत्र प्रदान करें य जो भी हमारी संतान है, उसकी रक्षा करें और दीर्घायु होने का वरदान दें । नाग पंचमी का व्रत पति- पत्नी दोनों को रखना चाहिए । महीने का व्रत पूर्ण होने पर पंचमुखी नाग को सिंहासन सहित विसर्जित कर दें अथवा मंदिर में रख दें ।
नागदेव को सुगंधित पुष्प और चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है ।